a-person-standing-on-a-beach-at-sunset न चाहकर भी | English कविता

"a-person-standing-on-a-beach-at-sunset न चाहकर भी मैं समंदर किनारे चला आता हूं जब कभी जिंदगी में अपनों से छला जाता हूं भूल जाता सारे गम इन लहरों के साथ खेलकर छोड़कर कड़वी यादो को फिर घर लौट जाता हूं । ©Rajnish Shrivastava"

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset न चाहकर भी मैं समंदर किनारे चला आता हूं 
जब कभी जिंदगी में अपनों से छला जाता हूं 
भूल जाता सारे गम इन लहरों के साथ खेलकर 
छोड़कर कड़वी यादो को फिर घर लौट जाता हूं ।

©Rajnish Shrivastava

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset न चाहकर भी मैं समंदर किनारे चला आता हूं जब कभी जिंदगी में अपनों से छला जाता हूं भूल जाता सारे गम इन लहरों के साथ खेलकर छोड़कर कड़वी यादो को फिर घर लौट जाता हूं । ©Rajnish Shrivastava

#SunSet

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