बादलो के बीच रहकर भी चंद्रमा अपनी शीतलता बिखरता ह | हिंदी कविता

"बादलो के बीच रहकर भी चंद्रमा अपनी शीतलता बिखरता है... लुकाछिपी आरोह-अवरोह सभी मे अपना अस्तित्व रखता है शरद पुर्णिमा की पूर्णता योगिता को जीवनचक्र सिखाता है.. अमृत की पावनता से व्यक्तित्व निखरता है... ©Yogita Harne"

 बादलो के बीच रहकर भी चंद्रमा  अपनी शीतलता बिखरता है...
लुकाछिपी आरोह-अवरोह सभी मे अपना अस्तित्व रखता है 
 शरद पुर्णिमा की पूर्णता योगिता को जीवनचक्र  सिखाता है..
अमृत की पावनता से व्यक्तित्व निखरता है...

©Yogita Harne

बादलो के बीच रहकर भी चंद्रमा अपनी शीतलता बिखरता है... लुकाछिपी आरोह-अवरोह सभी मे अपना अस्तित्व रखता है शरद पुर्णिमा की पूर्णता योगिता को जीवनचक्र सिखाता है.. अमृत की पावनता से व्यक्तित्व निखरता है... ©Yogita Harne

शरद पुनम

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