औरत का दिन भी होता हैं
या
औरत से ही हर दिन होता हैं
उसकी छोटी होती दुनिया
लेकिन
दुनिया उससे ही खुशहाल हैं
हँसी की कीमत आँसू हैं
जिंदगी बस त्याग की कहानी हैं
मर्यादा की मूरत बनकर
चुप्पी उसने साधी हैं
शरम का गहना उसने ओडा
फिर भी हिम्मत बाँधे हैं
बिगड़े काम हो या रिश्ते बिगड़े
सबको जोड़े जाती है
©Nisha Bhargava
#नारी एक पहेली