इश्क़-ए-वफ़ा के बाद,सज रही है ख़्वाब-ए-ख़्वाहिश भी | हिंदी शायरी

"इश्क़-ए-वफ़ा के बाद,सज रही है ख़्वाब-ए-ख़्वाहिश भी पल रही है ज़ेहन-ए-ज़ुस्तजू भी मचल रही है दीदार-ए-यार-ए-नज़र भी तरस रही है ©Sunita Sharma"

 इश्क़-ए-वफ़ा के बाद,सज रही है
ख़्वाब-ए-ख़्वाहिश भी पल रही है
ज़ेहन-ए-ज़ुस्तजू भी मचल रही है
दीदार-ए-यार-ए-नज़र भी तरस रही है

©Sunita Sharma

इश्क़-ए-वफ़ा के बाद,सज रही है ख़्वाब-ए-ख़्वाहिश भी पल रही है ज़ेहन-ए-ज़ुस्तजू भी मचल रही है दीदार-ए-यार-ए-नज़र भी तरस रही है ©Sunita Sharma

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