Sunita Sharma

Sunita Sharma Lives in Jodhpur, Rajasthan, India

दोस्ती है मेरी खुद से.. दामन को हर्ष से भरती हूँ, जिन्दगी के हर रंग से.. शब्दों की कशीदाकारी करती हूँ, जुगनू से चमकते एहसासों से.. पन्नो को सवारती हूँ।

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इश्क़-ए-वफ़ा के बाद,सज रही है ख़्वाब-ए-ख़्वाहिश भी पल रही है ज़ेहन-ए-ज़ुस्तजू भी मचल रही है दीदार-ए-यार-ए-नज़र भी तरस रही है ©Sunita Sharma

#शायरी #Twowords  इश्क़-ए-वफ़ा के बाद,सज रही है
ख़्वाब-ए-ख़्वाहिश भी पल रही है
ज़ेहन-ए-ज़ुस्तजू भी मचल रही है
दीदार-ए-यार-ए-नज़र भी तरस रही है

©Sunita Sharma

#Twowords

23 Love

किसी दिन मैं मेरे ख़्वाब-ए-जज़्बात का जलता आफ़ताब तुझ से पूछ ने मेरे मन के अनसुलझे सवाल ये कैसी आबो-हवा का है हर ओर फैलाव हर ओर बेबस और लाचार खड़ा है इन्सान यह मंज़र देख रूह को जलाता यह अलाव ए-परवरदिगार अब तो दुनिया का कर बचाव ©Sunita Sharma

#शिकायत #हिंदी #शायरी #दर्द #सवाल #SomedayIwill  किसी दिन मैं मेरे ख़्वाब-ए-जज़्बात का जलता आफ़ताब
तुझ से पूछ ने मेरे मन के अनसुलझे सवाल

ये कैसी आबो-हवा का है हर ओर फैलाव
हर ओर बेबस और लाचार खड़ा है इन्सान

यह मंज़र देख रूह को जलाता यह अलाव
ए-परवरदिगार अब तो दुनिया का कर बचाव

©Sunita Sharma

लौटा दे बचपन के वो दिन खुला आसमान, खुली थी जमीन पैरों में ना थी कोई जंजीर फ़िजा मे भी थी बहारें कई चिंता की ना थी कोई लकीर घुंघरू की तरह बजती ही रही नजरों में ना थी कभी ख़लली इन्द्रधनुषी रंगों से दीवारें थी सज्जी सवालातों कि ना थी बंदिश कोई कई अविष्कारों की जननी यह बनी लौटा दे बचपन के वो दिन मेरी तुझ से इल्तिजा अब है यही। ©Sunita Sharma

#stay_home_stay_safe #हिंदी #कविता #बचपन #गजल  लौटा दे बचपन के वो दिन
खुला आसमान, खुली थी जमीन

पैरों में ना थी कोई जंजीर
फ़िजा मे भी थी बहारें कई

चिंता की ना थी कोई लकीर
घुंघरू की तरह बजती ही रही

नजरों में ना थी कभी ख़लली
इन्द्रधनुषी रंगों से दीवारें थी सज्जी

सवालातों कि ना थी बंदिश कोई
कई अविष्कारों की जननी यह बनी

लौटा दे बचपन के वो दिन
मेरी तुझ से इल्तिजा अब है यही।

©Sunita Sharma

इस मर्ज की दवा पता नही हर उम्मीद ना काम हुई यह मंज़र देख मैं हताश हुई कितनो की जिंदगी निगल गई बेबसी की यह कैसी रात हुई हर नज़रें पुछ रही सवाल कई। ©Sunita Sharma

#covidindia  इस मर्ज की दवा पता नही
हर उम्मीद ना काम हुई
यह मंज़र देख मैं हताश हुई
कितनो की जिंदगी निगल गई
बेबसी की यह कैसी रात हुई
हर नज़रें पुछ रही सवाल कई।

©Sunita Sharma

#covidindia

22 Love

#5LinePoetry बेड़ा पार लगाने की हमने भी ठानी माना महामारी खेल रही आंख मिचौली डूबते तिनकों को सहारा देने की है बारी हमने भी हौसलों की उड़ान में भरली चाबी हर ओर कोख उजड़ ने की सुनाई देती किलकारी। ©Sunita Sharma

#ज़िन्दगी #5LinePoetry #corona #Pain  #5LinePoetry बेड़ा पार लगाने की हमने भी ठानी 
माना महामारी खेल रही आंख मिचौली 
डूबते तिनकों को सहारा देने की है बारी 
हमने भी हौसलों की उड़ान में भरली चाबी
हर ओर कोख उजड़ ने की सुनाई देती किलकारी।

©Sunita Sharma

#corona #Pain #Nojoto #5LinePoetry

18 Love

#5LinePoetry है... एक जहाँ उस पार भी वहाँ नहीं कोई दरो दीवार भी महकते, चहकते सवाल कई चलो चले उस पार भी है... एक मिल्कियत उस पार भी वहाँ नहीं कोई भेदभाव भी जीवन के बिखरे हैं रंग कई चलो चले उस पार भी है... एक पैगाम उस पार भी वहाँ नहीं कोई शैतान भी दोस्तों की है टोली कई चलो चले उस पार भी ©Sunita Sharma

#दुनिया #ख़्वाब #हिंदी #शायरी #कश्ती  #5LinePoetry है... एक जहाँ उस पार भी
वहाँ नहीं कोई दरो दीवार भी
महकते, चहकते सवाल कई
चलो चले उस पार भी

है... एक मिल्कियत उस पार भी
वहाँ नहीं कोई भेदभाव भी
जीवन के बिखरे हैं रंग कई
चलो चले उस पार भी

है... एक पैगाम उस पार भी
वहाँ नहीं कोई शैतान भी
दोस्तों की है टोली कई
चलो चले उस पार भी

©Sunita Sharma
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