जर्रा जर्रा डूब रहा मेरा तुझमें..
गहराई सी बढ चली मेरी खमोशी..
रुह को भी मेरी निचोड जाती हैं..
कहते कहते ना जाने मेरी जुबान क्यों..
चुप सी हो जाती हैं..
तकलीफ की इंतहा तो देखो मेरे गालिब़
मेरी मुस्काराहट में भी ये तफशीन हो जाती हैं..
प्रियंका कार्तिकेय
जर्रा जर्रा