कभी ये नाव जैसी हैं, कभी पतवार जैसी हैं किनारा हैं | हिंदी शायरी

"कभी ये नाव जैसी हैं, कभी पतवार जैसी हैं किनारा हैं कभी ये और कभी मझधार जैसी हैं इन्हें बस खेलने का तुम कोई सामान मत समझो कलम-सी लड़कियाँ ये सब खुली तलवार जैसी हैं ©Ghumnam Gautam"

 कभी ये नाव जैसी हैं, कभी पतवार जैसी हैं
किनारा हैं कभी ये और कभी मझधार जैसी हैं
इन्हें बस खेलने का तुम कोई सामान मत समझो
कलम-सी लड़कियाँ ये सब खुली तलवार जैसी हैं

©Ghumnam Gautam

कभी ये नाव जैसी हैं, कभी पतवार जैसी हैं किनारा हैं कभी ये और कभी मझधार जैसी हैं इन्हें बस खेलने का तुम कोई सामान मत समझो कलम-सी लड़कियाँ ये सब खुली तलवार जैसी हैं ©Ghumnam Gautam

#लड़कियाँ
#कलम
#तलवार
#ghumnamgautam

People who shared love close

More like this

Trending Topic