Year end 2023 ये जाता हुआ साल कुछ छोड़े जाता है जीव | हिंदी Poetry

"Year end 2023 ये जाता हुआ साल कुछ छोड़े जाता है जीवन के आँगन में कुछ तोड़े जाता है जीवन के आँगन से और आने वाला साल उम्मीदों के गमले में बो देता है कुछ आशाओं के अंकुर इसबार प्रभु सुनेंगे जरूर तो चलो सहेज ले संदूकों में कुछ यादों के फूल बगुलों भगत को भूलकर चढ़ायें समय की धूल फिर,बारह महीनों के झूले में डरते-हँसते , हँसते-डरते पेंग बढ़ाकर झूलेंगे कोशिश कर के फिर से नई ऊँचाइयों को छू लेंगे और जी लेंगे ज़िंदादिली से फिर एक साल ©Rajani Mundhra"

 Year end 2023 ये जाता हुआ साल
कुछ छोड़े जाता है
जीवन के आँगन में
कुछ तोड़े जाता है
जीवन के आँगन से
और आने वाला साल
उम्मीदों के गमले में बो देता है
कुछ आशाओं के अंकुर
इसबार प्रभु सुनेंगे जरूर 
तो चलो सहेज ले संदूकों में 
कुछ यादों के फूल
बगुलों भगत को भूलकर
चढ़ायें समय की धूल
फिर,बारह महीनों के झूले में
डरते-हँसते , हँसते-डरते
पेंग बढ़ाकर  झूलेंगे
कोशिश कर के फिर से
नई ऊँचाइयों को छू लेंगे
और जी लेंगे ज़िंदादिली से 
फिर एक साल

©Rajani Mundhra

Year end 2023 ये जाता हुआ साल कुछ छोड़े जाता है जीवन के आँगन में कुछ तोड़े जाता है जीवन के आँगन से और आने वाला साल उम्मीदों के गमले में बो देता है कुछ आशाओं के अंकुर इसबार प्रभु सुनेंगे जरूर तो चलो सहेज ले संदूकों में कुछ यादों के फूल बगुलों भगत को भूलकर चढ़ायें समय की धूल फिर,बारह महीनों के झूले में डरते-हँसते , हँसते-डरते पेंग बढ़ाकर झूलेंगे कोशिश कर के फिर से नई ऊँचाइयों को छू लेंगे और जी लेंगे ज़िंदादिली से फिर एक साल ©Rajani Mundhra

#YearEnd

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