" तेरी रंगत भरी मेरी चाहत का अब क्या होगा
ज़रा बताओ, हमारे स्नेह का सबब क्या होगा
सुनो प्यार कर रही हो या फिर कोई एहसान
ये सिर्फ तुम तय करोगी की कब क्या होगा
इससे अच्छा रहेगा तुम हमसे दूर ही हो जाओ
क्योंकि मैं ही ख़ामोश हो जाऊँ तब क्या होगा
©कुन्दन " प्रीत " ( کندن )
"