संगीत से ही साज़ और आवाज़ है , संगीत से ही अंत और | हिंदी Poetry

"संगीत से ही साज़ और आवाज़ है , संगीत से ही अंत और आगाज है , पिता की daant मां की लोरी में संगीत है , बच्चे के खिलौने और रोने में संगीत है , चिड़ियो के चहकने में संगीत का आभास है , सागर की लहरों में संगीत की आवाज है , बादल के गरजने में संगीत ही का शोर है , बारिश के बरसने में संगीत ही का सोज है, धड़कनों और सांसों में जीवन का संगीत है, संगीत में लगाव संगीत से ही प्रीत है , संगीत नहीं तो जिंदगी बेनामी व निरस है, संगीत से ही जिंदगी में हर स्वाद व नवरस है .....! ©पूर्वार्थ"

 संगीत से ही साज़ और आवाज़ है ,
संगीत से ही अंत और आगाज है ,
पिता की daant मां की लोरी में संगीत है ,
बच्चे के खिलौने और रोने में संगीत है ,

चिड़ियो के चहकने में संगीत का आभास है ,
सागर की लहरों में संगीत की आवाज है ,
बादल के गरजने में संगीत ही का शोर है ,
बारिश के बरसने में संगीत ही का सोज है, 

धड़कनों और सांसों में जीवन का संगीत है,
संगीत में लगाव संगीत से ही प्रीत है ,
संगीत नहीं तो जिंदगी बेनामी व निरस है,
संगीत से ही जिंदगी में हर स्वाद व नवरस है .....!

©पूर्वार्थ

संगीत से ही साज़ और आवाज़ है , संगीत से ही अंत और आगाज है , पिता की daant मां की लोरी में संगीत है , बच्चे के खिलौने और रोने में संगीत है , चिड़ियो के चहकने में संगीत का आभास है , सागर की लहरों में संगीत की आवाज है , बादल के गरजने में संगीत ही का शोर है , बारिश के बरसने में संगीत ही का सोज है, धड़कनों और सांसों में जीवन का संगीत है, संगीत में लगाव संगीत से ही प्रीत है , संगीत नहीं तो जिंदगी बेनामी व निरस है, संगीत से ही जिंदगी में हर स्वाद व नवरस है .....! ©पूर्वार्थ

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