ख़ता कोई नहीं हमारी और फ़िर भी हम ही शर्मिंदा हैं | हिंदी Shayari

"ख़ता कोई नहीं हमारी और फ़िर भी हम ही शर्मिंदा हैं। चालाकियों से भरी इस दुनिया में हम जैसे बेवकूफ़ न जाने किस लिए ज़िंदा हैं। #bas yunhi ....... ©Sh@kila Niy@z"

 ख़ता कोई नहीं हमारी 
और फ़िर भी हम ही शर्मिंदा हैं।
चालाकियों से भरी इस दुनिया में 
हम जैसे बेवकूफ़ न जाने किस लिए ज़िंदा हैं।

#bas yunhi .......

©Sh@kila Niy@z

ख़ता कोई नहीं हमारी और फ़िर भी हम ही शर्मिंदा हैं। चालाकियों से भरी इस दुनिया में हम जैसे बेवकूफ़ न जाने किस लिए ज़िंदा हैं। #bas yunhi ....... ©Sh@kila Niy@z

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