जो चाहे तू जीवन उद्धार तो बस प्रभु निहार, कटेंगे | हिंदी Shayari

"जो चाहे तू जीवन उद्धार तो बस प्रभु निहार, कटेंगे बंधन 84 तेरे,लगाए जो मन से प्रभु के फेरे जीत लाएगा फिर तू त्रिलोकीनाथ, रे मन, तू बस प्रभु निहार। छोड़ तन, धन का अहंकार, बड़े बड़े पड़े यहां काल के द्वार, हरि सुमिरन में बंदे एकाग्र कर तन, मन और प्राण अरे मनवा, तू बस प्रभु निहार अरे मनवा, तू बस प्रभु निहार।। #naresh.k"

 जो चाहे तू जीवन उद्धार
तो बस प्रभु निहार,

कटेंगे बंधन 84 तेरे,लगाए जो मन से प्रभु के फेरे
जीत लाएगा फिर तू त्रिलोकीनाथ,
रे मन, तू बस प्रभु निहार।


छोड़ तन, धन का अहंकार, बड़े बड़े पड़े यहां काल के द्वार,
हरि सुमिरन में बंदे एकाग्र कर तन, मन और प्राण
अरे मनवा, तू बस प्रभु निहार
अरे मनवा, तू बस प्रभु निहार।।

#naresh.k

जो चाहे तू जीवन उद्धार तो बस प्रभु निहार, कटेंगे बंधन 84 तेरे,लगाए जो मन से प्रभु के फेरे जीत लाएगा फिर तू त्रिलोकीनाथ, रे मन, तू बस प्रभु निहार। छोड़ तन, धन का अहंकार, बड़े बड़े पड़े यहां काल के द्वार, हरि सुमिरन में बंदे एकाग्र कर तन, मन और प्राण अरे मनवा, तू बस प्रभु निहार अरे मनवा, तू बस प्रभु निहार।। #naresh.k

#God

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