बनते बनते बात सारी बिगड़ गयी है..
जिस शहर में घर था उसका बस्ती अब वो उजड़ गई है..
हाल मेरा पूछ कर सब पूछते हैं हाल उसका..
कैसे कहूँ मैं सबको अब के वो मुझसे बिछड़ गई है..
बनते बनते बात सारी बिगड़ गयी है.
था मिला कोई उससे तो पूछ बैठी हाल मेरा..
बता रहा था आकर मुझसे के हाल सुन कर तड़प गई है..
लौट आयें वो अगर तो बन जाएं सारी बात.
वो बात जो बनते बनते बिगड़ गयी है...
©khan saad