फूल&agra

"फूलों सी अच्छा सुनिए ना.. अब वो समय है तो नहीं लेकिन हम फिर भी आजमाना चाहते हैं। परदेस जा माँ-पिताजी के लिए लिखे चिट्ठी में आपका जिक्र उठाना चाहते हैं। आपको स्वीकार अगर तो, कहो तो कह कर देख लूं? आजमाइश ना आसान होगी.. पर कोशिश में क्या जाता है? और.. सुनिए ना! आप से भी आगे कुछ बतियाने में मुझे भी शर्म आता है।😉 🖋️गौरव झा नितिन । ©गौरव झा नितिन"

 फूलों सी अच्छा सुनिए ना..
अब वो समय है तो नहीं
लेकिन हम फिर भी आजमाना चाहते हैं।
परदेस जा माँ-पिताजी के लिए लिखे चिट्ठी में 
आपका जिक्र उठाना चाहते हैं।

आपको स्वीकार अगर तो,
कहो तो कह कर देख लूं?
आजमाइश ना आसान होगी..
पर कोशिश में क्या जाता है?

और.. सुनिए ना!
आप से भी आगे कुछ बतियाने में
मुझे भी शर्म आता है।😉

                           🖋️गौरव झा नितिन











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©गौरव झा नितिन

फूलों सी अच्छा सुनिए ना.. अब वो समय है तो नहीं लेकिन हम फिर भी आजमाना चाहते हैं। परदेस जा माँ-पिताजी के लिए लिखे चिट्ठी में आपका जिक्र उठाना चाहते हैं। आपको स्वीकार अगर तो, कहो तो कह कर देख लूं? आजमाइश ना आसान होगी.. पर कोशिश में क्या जाता है? और.. सुनिए ना! आप से भी आगे कुछ बतियाने में मुझे भी शर्म आता है।😉 🖋️गौरव झा नितिन । ©गौरव झा नितिन

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