गौरव झा नितिन

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मैं तब तक आपका हूँ, जब तक आप मेरे हैं। 🙏राधे-राधे🙏

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White हाथ पर चोट लगा,घाव हुआ घाव को ठीक करने के लिए Megapen का कैप्सूल लाएं और उसका पैक खोल कर खाते हुए उसके Aluminium foil से फिर से उंगली कट गया।🤦🏻 । ©गौरव झा नितिन

#विचार  White हाथ पर चोट लगा,घाव हुआ
घाव को ठीक करने के लिए Megapen का कैप्सूल लाएं 
और उसका पैक खोल कर खाते हुए उसके Aluminium foil से
 फिर से उंगली कट गया।🤦🏻




























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©गौरव झा नितिन

बकवास

10 Love

White हाथ पर चोट लगा,घाव हुआ घाव को ठीक करने के लिए Megapen का कैप्सूल लाएं और उसका पैक खोल कर खाते हुए उसके Aluminum foil से फिर से उंगली कट गया।🤦🏻 । ©गौरव झा नितिन

#विचार  White हाथ पर चोट लगा,घाव हुआ
घाव को ठीक करने के लिए Megapen का कैप्सूल लाएं 
और उसका पैक खोल कर खाते हुए उसके Aluminum foil से
 फिर से उंगली कट गया।🤦🏻




























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©गौरव झा नितिन

बकवास

10 Love

Unsplash अपना राजा के फैन हम बानी.... एगो अइसे ई कहे बाली हम काहे डिजर्व नै करते हैं? 🌼🌼 । ©गौरव झा नितिन

#विचार  Unsplash अपना राजा के फैन हम बानी....
एगो अइसे ई कहे बाली हम काहे डिजर्व नै करते हैं?

🌼🌼





























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©गौरव झा नितिन

Unsplash अपना राजा के फैन हम बानी.... एगो अइसे ई कहे बाली हम काहे डिजर्व नै करते हैं? 🌼🌼 । ©गौरव झा नितिन

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Unsplash अपना राजा के फैन हम बानी.... एगो अइसे ई कहे बाली हम काहे डिजर्व नै करते हैं? 🌼🌼 । ©गौरव झा नितिन

#विचार #lovelife  Unsplash  अपना राजा के फैन हम बानी....
एगो अइसे ई कहे बाली हम काहे डिजर्व नै करते हैं?

🌼🌼





























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#lovelife

10 Love

जब जिंदगी सूखी सी लगने लगती है तब आँखों के रस्ते हल्की-सी धार आती है और फिर जिंदगी बसात में खलिहान के हाल की तरह खिल उठती है। 🖋️गौरव झा नितिन । ©गौरव झा नितिन

#विचार  जब जिंदगी सूखी सी लगने लगती है
तब आँखों के रस्ते हल्की-सी धार आती है
और फिर जिंदगी बसात में खलिहान के हाल की तरह 
खिल उठती है।

                                           🖋️गौरव झा नितिन






















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©गौरव झा नितिन

जब जिंदगी सूखी सी लगने लगती है तब आँखों के रस्ते हल्की-सी धार आती है और फिर जिंदगी बसात में खलिहान के हाल की तरह खिल उठती है। 🖋️गौरव झा नितिन । ©गौरव झा नितिन

16 Love

गया बचपन का वो दौर,  अब जवानी के नए पायदान पर, अपना अगला कदम बढ़ाता हूं। दर्दों को समेट अपने भीतर, दिखावे के लिए मुस्कुराता हूं। बस एक बार खुल कर रोना चाहता हूं, पर कभी रो नहीं पता हूं। रिश्तेदारी है, परिवार की जिम्मेदारी है, और इन सब को चलाने के लिए,  नौकरी की मारा-मारी है।  क्या करूं.. घर का जवान लड़का हूं ना, बचपन की तरह कभी चैन से सो नहीं पता हूं। बस एक बार खुल कर रोना चाहता हूं,  पर कभी रो नहीं पाता हूं।।                          🖋️गौरव झा नितिन । ©गौरव झा नितिन

#विचार  गया बचपन का वो दौर, 
अब जवानी के नए पायदान पर,
अपना अगला कदम बढ़ाता हूं।
दर्दों को समेट अपने भीतर,
दिखावे के लिए मुस्कुराता हूं।
बस एक बार खुल कर रोना चाहता हूं,
पर कभी रो नहीं पता हूं।

रिश्तेदारी है, परिवार की जिम्मेदारी है,
और इन सब को चलाने के लिए, 
नौकरी की मारा-मारी है। 
क्या करूं..
घर का जवान लड़का हूं ना,
बचपन की तरह कभी चैन से सो नहीं पता हूं।
बस एक बार खुल कर रोना चाहता हूं, 
पर कभी रो नहीं पाता हूं।।

                              🖋️गौरव झा नितिन





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गया बचपन का वो दौर,  अब जवानी के नए पायदान पर, अपना अगला कदम बढ़ाता हूं। दर्दों को समेट अपने भीतर, दिखावे के लिए मुस्कुराता हूं। बस एक बार खुल कर रोना चाहता हूं, पर कभी रो नहीं पता हूं। रिश्तेदारी है, परिवार की जिम्मेदारी है, और इन सब को चलाने के लिए,  नौकरी की मारा-मारी है।  क्या करूं.. घर का जवान लड़का हूं ना, बचपन की तरह कभी चैन से सो नहीं पता हूं। बस एक बार खुल कर रोना चाहता हूं,  पर कभी रो नहीं पाता हूं।।                          🖋️गौरव झा नितिन । ©गौरव झा नितिन

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