White उदासियों में गूंजी एक आवाज कहीं
अधूरी तो नहीं पर खोई है शाम कहीं
सोई हुई ख्वाहिशों की आगाज़ कहीं
अपने लिए जीने की चाह कहीं ।
फंस जाती है ये जिंदगी दो किनारो में
जीवन से मृत्यु तक के सफर की धारों में
चोट लगेगी पत्थरों से इन राहों में
संभालना है अपने आप को इन बहावों में ।
अथाह सागर में मिलने के लिए बहना तो होगा
चलना है जब तक खुश रहना तो होगा
बहते -बहते कभी शांत कभी शोर करते चलो
अपने होने का एहसास कराते चलो ।।
✍️✍️सोना
vinita sharma
©Vinita Sharma
#जिंदगी_का_सफर