मंजिलों की हद कहाँ तक, अपेक्षाओं का कद कहाँ तक? ना | हिंदी कविता Video

"मंजिलों की हद कहाँ तक, अपेक्षाओं का कद कहाँ तक? नारी हूँ जननी महान,बेजोड़ जहाँ में, नहीं समतुल्य मेरे सकल ब्रह्मा ण्ड तक। ©Faniyal "

मंजिलों की हद कहाँ तक, अपेक्षाओं का कद कहाँ तक? नारी हूँ जननी महान,बेजोड़ जहाँ में, नहीं समतुल्य मेरे सकल ब्रह्मा ण्ड तक। ©Faniyal

#Naari

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