White मेरे इश्क में होकर फना, वो होकर रहे ताउम्र बस मेरी......
ऐसा तो न किसी ने कहा, न ही किसी ने लिखा।
वो भी आज़ाद है मेरे ख्यालों जैसे,अब बंदिशें न इसपर रही न ही उसपर।
चलो माना कि जीती होगी वो अब किसी और की ही गिरफ्त में,
मगर कोई क्या ही कैद करेगा मेरी चाहत को जुदा करके मुझसे,
मैं तो जीता ही हुं उसे हर लम्हा,चुरा के उसकी ही यादों से उसे।
वो रोम रोम में मेरे बसा है कुछ इस कदर, कि मुझे जरूरत ही नहीं पड़ती दीदार को उसके।
सुना है आदतें तो होती ही हैं छूट जाने के लिए,तो......भुला देता मैं भी तुझे तेरे जाने के बाद, गर मैंने भी तुझे आदतों सा पाला होता।
मगर चाहत ये मेरी वादों से है यादों इरादों से है,
तू चाहे तो मुकर जाना उन तमाम वादों से भी,मुझ जैसी आदतों की तरह।
मगर मैं कभी न भूलूंगा तुझे, चाहे तू बना ले आदतों सा फिर किसी और को.....
क्यूंकि तू तो जीवन है मेरा जिसे मैंने इक अर्से तक जिया है,
ख़त्म होगी ये दास्तां भी तभी....जुदा होगी जब मेरी ये सांसे मुझसे।
चाहत है ये मेरी कोई सौदेबाजी नहीं, चाहुंगा तुझे ही उम्रभर बिन मांगे चाहत की तुझसे निशानी कोई।
©duggu
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