कभी करीब आ, तुझे परखू तो सही, ये दाग गहरे हैं, मगर | हिंदी शायरी

"कभी करीब आ, तुझे परखू तो सही, ये दाग गहरे हैं, मगर मिटे तो नहीं। ज़ख्म खुद-ब-खुद भर जाएंगे यकीनन, बस एक बार तू मरहम कर तो सही। ©नवनीत ठाकुर"

 कभी करीब आ, तुझे परखू तो सही,
ये दाग गहरे हैं, मगर मिटे तो नहीं।
ज़ख्म खुद-ब-खुद भर जाएंगे यकीनन,
बस एक बार तू मरहम कर तो सही।

©नवनीत ठाकुर

कभी करीब आ, तुझे परखू तो सही, ये दाग गहरे हैं, मगर मिटे तो नहीं। ज़ख्म खुद-ब-खुद भर जाएंगे यकीनन, बस एक बार तू मरहम कर तो सही। ©नवनीत ठाकुर

कभी करीब आ, तुझे परखू तो सही,
ये दाग गहरे हैं, मगर मिटे तो नहीं।
ज़ख्म खुद-ब-खुद भर जाएंगे यकीनन,
बस एक बार तू मरहम कर तो सही।

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