White आओ कुछ पल बैठ कर गुफ़्तगू कर लें।
कुछ गिले तुम कर लेना,कुछ शिकवे मैं कर लूंगी
कुछ सच मैं बोल दूँ, कुछ झूठ तुम बोल देना ।
आओ बैठ कर बाँटते हैं ग़म अपने।
कुछ दर्द तुम साझा कर लेना,
कुछ ज़ख़्मों को मैं कुरेद लूँगी।
कभी मरहम तुम लगा देना,
कभी अहसास मैं जगा दूँगी।
छँट जाने देते हैं आज गलतफहमियों के अब्रों को।
टूट जाने देते हैं इन खङी दीवारों को।
बह जाने देते हैं आँखो से दरिया को।
मुंतज़िर हूँ मैं तुम्हारे लिए आज भी।
कुछ तो हौंसला कर लो तुम भी।
(आशिमा)
©Dr Archana
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