सारी जिन्दगी बस खुद को तसल्ली ही देते आ रहे,
रोज - रोज खुद की सोच से लड़ते हैं,
रोज खुद को संभालते हैं, फिर बिखर भी जाते हैं,
फिर तसल्ली देते हैं
कुछ positive quotes, कुछ videos से
लेकिन कब तक आखिर?
ये ही सवाल आता हैं मन में,
आखिर क्यों? क्यों?
दूसरों संभालना, समझाना, तसल्ली देना आसान हैं,
खुद के लिए नहीं, क्यों? 😞
08/12/24
02:25 p. m.
(U. K.) ✍️
©Ubaida khatoon Siddiqui
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