आँखें देख रही हैं जैसा इसको वैसा मत समझो। जो बोओगे | हिंदी कविता

"आँखें देख रही हैं जैसा इसको वैसा मत समझो। जो बोओगे वो काटोगे बिल्कुल ऐसा मत समझो। इस दुनिया के तौर तरीके रोज बदलते रहते हैं। दुनिया जैसे बदलो केतन अपने जैसा मत समझो। ©Ketan Tripathi"

 आँखें देख रही हैं जैसा इसको वैसा मत समझो।
जो बोओगे वो काटोगे बिल्कुल ऐसा मत समझो।
इस दुनिया के तौर तरीके रोज बदलते रहते हैं।
दुनिया जैसे बदलो केतन अपने जैसा मत समझो।

©Ketan Tripathi

आँखें देख रही हैं जैसा इसको वैसा मत समझो। जो बोओगे वो काटोगे बिल्कुल ऐसा मत समझो। इस दुनिया के तौर तरीके रोज बदलते रहते हैं। दुनिया जैसे बदलो केतन अपने जैसा मत समझो। ©Ketan Tripathi

#दुनिया

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