क्या हुआ ?
आप लोग मुझे ऐसे क्यो देख रहे हैं?
तो मैने कहा !
बस ऐसे ही हम लोग कुछ बात कर रहे थे और अचानक तुम आ गये !
पर तुम इतना उदास क्यों हो ?
क्या हुआ ? तुम्हें "
तो भाई ने कहा ?
मैंने कितनी मेहनत की थी 12th की परीक्षा मे अधिकतम अंक लाने की ,
पर मेरी उम्मीद से कम अंक आये हैं ।
तो मैंने कहा ?
तुम्हारा प्रयास तो था और तुम सफल भी हुए हो ,
तो क्या हुआ अंक कम हैं।
तुम निराश मत हो
अपना दिल छोटा मत करो।
और सुनो!
परीक्षाओं में कभी अंक कम कभी ज्यादा होता रहता है
पर उसका नकारात्मक प्रभाव अपने दिमाग़ पर नही बैठाना चाहिए ,
और न ही घर वालो के डर से कोई गलत कदम उठाना चाहिए,
आखिर माता पिता का भविष्य तो बच्चों से होता है
जो अपने बच्चों साथ उम्र भर चाहते हैं
इसलिए कभी किसी भी छोटी बड़ी बात को लेकर
मरने जैसा क़दम कभी नहीं उठाना चाहिए ।
आखिर माता पिता के लिए आपके मार्क्स नहीं
आप मायने रखते हैं
कागज़ का टुकड़ा नहीं
जिगर का टुकड़ा उनका सहारा होता है।
पूनम निषाद ✍️
©Poonam Nishad
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