White फिर फूट पड़ी है आशा की लौ प्राची में सिंदूरी | हिंदी कविता

"White फिर फूट पड़ी है आशा की लौ प्राची में सिंदूरी हुआ आसमान गुजर गया स्याह रातों का कारवां ले अंगड़ाई फिर उठ पड़ा है जहान फिर नई उमंग लेकर आया है सबेरा विपिन-विटपों ने छेड़ी शीतल मंद बयार विहग-वृंदों ने छोड़ा अपना रैन बसेरा नाच उठे फिर से मकरंद करते गूँजार वट-वृक्षों से लिपट झूम उठी लताऐं महक उठा मधुवन पुष्प-प्रसूनों से स्वर रागिनियाँ बज उठी चहुं ओर कोयल ने कर ली जुगलबंदी बुलबुल से जीवों की क्रिणाओं से स्पंदित हो रही धरा थम गए सारे हो रहे रण भीषण घमासान पुलकित हो उठा रोम-रोम सहर्ष ही प्रकृति ने फेर दी जो सबके चेहरों पर मुस्कान ©Kirbadh"

 White फिर फूट पड़ी है आशा की लौ
प्राची में सिंदूरी हुआ आसमान
गुजर गया स्याह रातों का कारवां 
ले अंगड़ाई फिर उठ पड़ा है जहान 

फिर नई उमंग लेकर आया है सबेरा
विपिन-विटपों ने छेड़ी शीतल मंद बयार
विहग-वृंदों ने छोड़ा अपना रैन बसेरा
नाच उठे फिर से मकरंद करते गूँजार

वट-वृक्षों से लिपट झूम उठी लताऐं 
महक उठा मधुवन पुष्प-प्रसूनों से
स्वर रागिनियाँ बज उठी चहुं ओर 
कोयल ने कर ली जुगलबंदी बुलबुल से

जीवों की क्रिणाओं से स्पंदित हो रही धरा 
थम गए सारे हो रहे रण भीषण घमासान
पुलकित हो उठा रोम-रोम सहर्ष ही
प्रकृति ने फेर दी जो सबके चेहरों पर मुस्कान

©Kirbadh

White फिर फूट पड़ी है आशा की लौ प्राची में सिंदूरी हुआ आसमान गुजर गया स्याह रातों का कारवां ले अंगड़ाई फिर उठ पड़ा है जहान फिर नई उमंग लेकर आया है सबेरा विपिन-विटपों ने छेड़ी शीतल मंद बयार विहग-वृंदों ने छोड़ा अपना रैन बसेरा नाच उठे फिर से मकरंद करते गूँजार वट-वृक्षों से लिपट झूम उठी लताऐं महक उठा मधुवन पुष्प-प्रसूनों से स्वर रागिनियाँ बज उठी चहुं ओर कोयल ने कर ली जुगलबंदी बुलबुल से जीवों की क्रिणाओं से स्पंदित हो रही धरा थम गए सारे हो रहे रण भीषण घमासान पुलकित हो उठा रोम-रोम सहर्ष ही प्रकृति ने फेर दी जो सबके चेहरों पर मुस्कान ©Kirbadh

#good_morning कविता कोश कविताएं हिंदी कविता

People who shared love close

More like this

Trending Topic