देखो आंखों में आज भी तुम्हारी याद की नमी है,
हाथ की कलाई एक तुम्हारी राखी बिन सूनी है,
चाहें जितनी भी चलती जाए ये जिन्दगी,
पर तुम्हारे बिन सदैव इसमें एक कमी है,
काश आ पाता वापस वो वक्त
जब हम दोनो लड़ा करते थे,
एक दूसरे को हंसाया रुलाया करते थे,
वो बचपन जो के पल जो साथ बिताए थे,
आज भी स्मरण होते हैं जब
तो ये दिल भारी और आंखें नम हो जाती हैं,
कि आज भी बहन तुम्हारी कमी बहुत सताती है...
©Shivendra Gupta 'शिव'
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