a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मोनालिसा की व्यथा
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गांव की अनपढ़ और रही बगैर काज।
माला बेचते बेचते पंहुच गई प्रयागराज।।
न फैशन, न जानू क्या होती है पहचान।
मैं तो थी इन सब बातों से अनजान।।
बस मीडिया की एक नजर क्या पड़ी।
जनता मेरी माला खरीदने नहीं सिर्फ देखने हो रही खड़ी।।
नटखट सी मैं उपर से आंखों में है नशा।
न जाने क्यों पसंद आई लोगों को मेरी ये अदा।।
माला बेचने कुंभ में थी मैं आई।
माला भी बिकी और पहचान भी खूब पाई।।
न इतनी खूबसूरत हुं मै न जानती करना श्रृंगार।
फिर भी चर्चा कर रहा है ये संसार।।
अब तो हर एक जुबान पर मोनालिसा ही आए।
न जाने क्यों सबको मेरे ये नैन इतने भाए।।
©Uma sharma
#SunSet Monalisaa Dheeraj Bakshi ਸਿਵੀਆ ਜੀ @Sanju Slathia @gudiya @Kumar Shaurya