ज़िन्दगी में तुम कुछ मांगो और तभी गुज़रे टूटता तारा

"ज़िन्दगी में तुम कुछ मांगो और तभी गुज़रे टूटता तारा ऐसा ज़रूरी तो नहीं, खवाइशें वो दरिया हैं जिसका हमेशा कोई हो किनारा ऐसा ज़रूरी तो नहीं ! कई दफा हालत कसर करते हैं छोड अपनी चाहतों को गुज़र जाओ, भले दिल न भी करे , हर बार तुम्हे दे कोई और सहारा अब ऐसा ज़रूरी तो नहीं !! ©सोचती स्याही"

 ज़िन्दगी में तुम कुछ मांगो और तभी गुज़रे टूटता तारा ऐसा ज़रूरी तो नहीं, 
खवाइशें वो दरिया हैं जिसका हमेशा कोई हो किनारा ऐसा ज़रूरी तो नहीं ! 
कई दफा हालत कसर करते हैं छोड अपनी चाहतों को गुज़र जाओ, भले दिल न भी करे , 
हर बार तुम्हे दे कोई और सहारा अब ऐसा ज़रूरी तो नहीं !!

©सोचती स्याही

ज़िन्दगी में तुम कुछ मांगो और तभी गुज़रे टूटता तारा ऐसा ज़रूरी तो नहीं, खवाइशें वो दरिया हैं जिसका हमेशा कोई हो किनारा ऐसा ज़रूरी तो नहीं ! कई दफा हालत कसर करते हैं छोड अपनी चाहतों को गुज़र जाओ, भले दिल न भी करे , हर बार तुम्हे दे कोई और सहारा अब ऐसा ज़रूरी तो नहीं !! ©सोचती स्याही

sochte hain yu hum aksar, hum mile hi na hote,,
magar jaane de..
wo jo tha khwaab sa..

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