ज़िन्दगी में तुम कुछ मांगो और तभी गुज़रे टूटता तारा ऐसा ज़रूरी तो नहीं,
खवाइशें वो दरिया हैं जिसका हमेशा कोई हो किनारा ऐसा ज़रूरी तो नहीं !
कई दफा हालत कसर करते हैं छोड अपनी चाहतों को गुज़र जाओ, भले दिल न भी करे ,
हर बार तुम्हे दे कोई और सहारा अब ऐसा ज़रूरी तो नहीं !!
©सोचती स्याही
sochte hain yu hum aksar, hum mile hi na hote,,
magar jaane de..
wo jo tha khwaab sa..