White कुछ ना उम्मीद बेसहारों के सहारे बन जाते हैं | हिंदी कविता

"White कुछ ना उम्मीद बेसहारों के सहारे बन जाते हैं.. पटाखों के बेवजह शोर से सहमें बेज़ुबानों को बचाते हैं एक इंसान बनकर आए हैं हम सब इस धरती पर आओ रंगों के भेद भूल जाते हैं चलो इस बार की दिवाली कुछ नए तरीके से मनाते हैं.. दीपावली की खुशियां जताने को कैडबरी चॉकलेट नहीं घर के बने लड्डू खिलाते हैं ©आगाज़"

 White कुछ ना उम्मीद बेसहारों के 
सहारे बन जाते हैं..

पटाखों के बेवजह शोर से 
सहमें बेज़ुबानों को बचाते हैं


एक इंसान बनकर आए हैं हम सब इस धरती पर 
आओ रंगों के भेद भूल जाते हैं

चलो इस बार की दिवाली 
कुछ नए तरीके से मनाते हैं..


दीपावली की खुशियां जताने को कैडबरी चॉकलेट नहीं 
घर के बने लड्डू खिलाते हैं

©आगाज़

White कुछ ना उम्मीद बेसहारों के सहारे बन जाते हैं.. पटाखों के बेवजह शोर से सहमें बेज़ुबानों को बचाते हैं एक इंसान बनकर आए हैं हम सब इस धरती पर आओ रंगों के भेद भूल जाते हैं चलो इस बार की दिवाली कुछ नए तरीके से मनाते हैं.. दीपावली की खुशियां जताने को कैडबरी चॉकलेट नहीं घर के बने लड्डू खिलाते हैं ©आगाज़

#diwali_wishes @aditi the writer @DASHARATH RANKAWAT SHAKTI

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