याद है मुझे आज भी आपके कदमों की आहट जिसे सुनकर छि | हिंदी कविता

"याद है मुझे आज भी आपके कदमों की आहट जिसे सुनकर छिपती थी दरवाजे के पीछे और पास आते ही डराने की कोशिश करना याद है आपका और अपना हॅ़ंसना भी याद है अब दरवाजा है आहट और आवाजें भी हैं कानों में , तस्वीरें हैं ऑंखों में, पर फिर भी अब न आप हॅंसते हैं ना मैं... ©vidushi MISHRA"

 याद है मुझे आज भी आपके कदमों की आहट
 जिसे सुनकर छिपती थी दरवाजे के पीछे 
और पास आते ही डराने की कोशिश करना 
याद है 
आपका और अपना हॅ़ंसना भी याद है
 अब दरवाजा है
 आहट और आवाजें भी हैं कानों में ,
तस्वीरें हैं ऑंखों में,
 पर फिर भी
 अब न आप हॅंसते हैं ना मैं...

©vidushi MISHRA

याद है मुझे आज भी आपके कदमों की आहट जिसे सुनकर छिपती थी दरवाजे के पीछे और पास आते ही डराने की कोशिश करना याद है आपका और अपना हॅ़ंसना भी याद है अब दरवाजा है आहट और आवाजें भी हैं कानों में , तस्वीरें हैं ऑंखों में, पर फिर भी अब न आप हॅंसते हैं ना मैं... ©vidushi MISHRA

#findingyourself बाबा

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