मौसम भी आज़ फिर से सताने लगे हैं उनकी यादें भी रह- | हिंदी शायरी

"मौसम भी आज़ फिर से सताने लगे हैं उनकी यादें भी रह-रह कर आने लगे हैं लोग कहते हैं वो बारिश में नहाने लगा हैं कैसे कहूं ग़म के आंसुओं को हम छुपाने लगे हैं आपका अपना: © अभिषेक कुमार वर्मा ©Abhishek Verma"

 मौसम भी आज़ फिर से सताने लगे हैं
उनकी यादें भी रह-रह कर आने लगे हैं
लोग कहते हैं वो बारिश में नहाने लगा हैं
कैसे कहूं ग़म के आंसुओं को हम छुपाने लगे हैं

आपका अपना: © अभिषेक कुमार वर्मा

©Abhishek Verma

मौसम भी आज़ फिर से सताने लगे हैं उनकी यादें भी रह-रह कर आने लगे हैं लोग कहते हैं वो बारिश में नहाने लगा हैं कैसे कहूं ग़म के आंसुओं को हम छुपाने लगे हैं आपका अपना: © अभिषेक कुमार वर्मा ©Abhishek Verma

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