की इन अंधेरी सुनसान रातों में ,
किसी का याद आना एक इशारा है क्या ,
कि उन वीरान समंदरों की सतों में ,
कहीं नीचे एक किनारा है क्या ;
कि हमने चाहा भी तुझे यूं इस क़दर ,
की हमारी दुआएं भी बेअसर ना हुई ;
कि तुम हो भी गए किसी और के ,
और हमारी निगाहें भी तुमसे बेनज़र ना हुई ;
©Vibhu Karn
कि तुम मेरे ना भी हुए तो भी क्या ही गम है.....
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