"चूहा अगर पत्थर का हो तो
सब पूजते हैं,
मगर जिंदा हो तो
मारे बिना साॕंस नहीं लेते.
साॕंप अगर पत्थर का हो तो
सब पूजते हैं,
मगर जिंदा हो तो
उसी वक्त मार देते हैं.
ओरत अगर पत्थर की हो तो
सब पूजते हैं,माॕं कहते हैं,
मगर जिंदा हो तो मारते हैं
नोचते हैं,बलात्कार करते हैं.
बस यही समझ नहीं आता कि
जिंदगी से इतनी नफरत क्यूॕं ?
ओर पत्थर से इतनी मोहब्बत क्यूॕं ?
©Davinder Singh
"