मुक्तक मस्ती में धारा रंगी है, राधा रंगी रंगों मे | हिंदी कविता

"मुक्तक मस्ती में धारा रंगी है, राधा रंगी रंगों में व्याकुल रत श्यामल बाहों को, डूब रही है रंगों में सारी सुषमा गलियों की क्यूँ खोज रही संकोच कहीं कामन काया खिल जाने दो, लिपटी भीगे रंगों मे ©Shivam Tiwari"

 मुक्तक 
मस्ती में धारा रंगी है, राधा रंगी रंगों में
व्याकुल रत श्यामल बाहों को, डूब रही है रंगों में 
सारी सुषमा गलियों की क्यूँ खोज रही संकोच कहीं 
कामन काया खिल जाने दो, लिपटी भीगे रंगों मे

©Shivam Tiwari

मुक्तक मस्ती में धारा रंगी है, राधा रंगी रंगों में व्याकुल रत श्यामल बाहों को, डूब रही है रंगों में सारी सुषमा गलियों की क्यूँ खोज रही संकोच कहीं कामन काया खिल जाने दो, लिपटी भीगे रंगों मे ©Shivam Tiwari

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