White रिश्तेदारों की क्या बात?
लुच्चे हैं कुछ टुच्चे जैसा,
ओले हैं कुछ दोगले जैसा।
मिठास भरी बातों में छिपा है जहर,
पीठ पीछे करते हैं चालों का कहर।
सामने से बनें भाई-भाई,
पीछे से करें दिल की सफाई।
अपने घर में ना पूछें कुत्ता,
पर आपकी बुराई में लगाएं झुंड का झुंडा।
स्वार्थ का संसार, दिखावे की मूरत,
इनकी दोस्ती बस मतलब की सूरत।
भरोसा तोड़ने में हैं ये उस्ताद,
बातों से देते हैं रिश्तों को विषाद।
रिश्तेदारों की क्या बात?
ये तो दोगलों की पूरी टोली है,
हंसी के पीछे छुपी इनकी गोली है।।
©Pradeep Kumar Yadav
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