यादों के झरोखे से : मेरे प्यारे फ्रेंडस
"अनछुए- स्पर्श " से यह रचना
न जुड़ कर भी तुमसे
जुड़ना चाहता हूं
शब्द -शब्द में
डूब -डूब कर
तुम्हें ढूंढ़ना तुम्हें
मनाना चाहता हूं..!!
यूँ ही तुम्हें छूकर
पल भर के लिए
तुममें से ही गुजर
जाना चाहता हूं..!!
कहीं तुम मुझमें
ज़रा सा रह जाओ
भीगी पलकों में
तुम्हें बसाना चाहता हूं...!!
चाहें दो पल के लिए
ही तुमसे जुड़ जाऊं
न जुड़ कर भी
तुमसे जुड़ा रहूं..!!
कुछ ऐसा ही
करना चाहता हूं...!!
©Sunita Sharma
#tereliye