अज्ञान का तिमिर मिटा कर जो राह ग्यान की दिखलाता
राह भटकने लगे तो जो फिर
सही राह पर ले आता।
जिसकी अंगुली थाम कर
हम लक्ष्य पाए जीवन का।
वो गुरु है वो अध्यापक है
जो सार बताए जीवन का।
शिक्षक, आचार्य, पथ प्रदर्शक,
जो हर ठोकर से लेता संभाल।
उपमा क्या दे उसको हम,
वो है जग मे बेमिसाल।
अलग अलग नामों की जैसे,
भिन्न भिन्न है उसके रूप।
कभी वो मात- पिता मे दिखता
कभी होता है साथी स्वरूप।
उलझन से भरी इस दुनिया मे,
दिखला दे जो राह सही।
चाहे जिस भी रूप मे हो,
सच्चा गुरु होता है वही। 🙏🙏
©Anita Agarwal
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