अज्ञान का तिमिर मिटा कर जो राह ग्यान की दिखलाता रा | हिंदी Poetry

"अज्ञान का तिमिर मिटा कर जो राह ग्यान की दिखलाता राह भटकने लगे तो जो फिर सही राह पर ले आता। जिसकी अंगुली थाम कर हम लक्ष्य पाए जीवन का। वो गुरु है वो अध्यापक है जो सार बताए जीवन का। शिक्षक, आचार्य, पथ प्रदर्शक, जो हर ठोकर से लेता संभाल। उपमा क्या दे उसको हम, वो है जग मे बेमिसाल। अलग अलग नामों की जैसे, भिन्न भिन्न है उसके रूप। कभी वो मात- पिता मे दिखता कभी होता है साथी स्वरूप। उलझन से भरी इस दुनिया मे, दिखला दे जो राह सही। चाहे जिस भी रूप मे हो, सच्चा गुरु होता है वही। 🙏🙏 ©Anita Agarwal"

 अज्ञान का तिमिर मिटा कर जो राह ग्यान की दिखलाता
राह भटकने लगे तो जो फिर
सही राह पर ले आता।

जिसकी अंगुली थाम कर 
हम लक्ष्य पाए जीवन का। 
वो गुरु है वो अध्यापक है 
जो सार बताए जीवन का। 

शिक्षक, आचार्य, पथ प्रदर्शक, 
जो हर ठोकर से लेता संभाल। 
उपमा क्या दे उसको हम, 
वो है जग मे बेमिसाल। 

अलग अलग नामों की जैसे, 
भिन्न भिन्न है उसके रूप। 
कभी वो मात- पिता  मे दिखता 
कभी होता है साथी स्वरूप। 

उलझन से भरी इस दुनिया मे, 
दिखला दे जो राह सही। 
चाहे जिस भी रूप मे हो, 
सच्चा गुरु होता है वही। 🙏🙏

©Anita Agarwal

अज्ञान का तिमिर मिटा कर जो राह ग्यान की दिखलाता राह भटकने लगे तो जो फिर सही राह पर ले आता। जिसकी अंगुली थाम कर हम लक्ष्य पाए जीवन का। वो गुरु है वो अध्यापक है जो सार बताए जीवन का। शिक्षक, आचार्य, पथ प्रदर्शक, जो हर ठोकर से लेता संभाल। उपमा क्या दे उसको हम, वो है जग मे बेमिसाल। अलग अलग नामों की जैसे, भिन्न भिन्न है उसके रूप। कभी वो मात- पिता मे दिखता कभी होता है साथी स्वरूप। उलझन से भरी इस दुनिया मे, दिखला दे जो राह सही। चाहे जिस भी रूप मे हो, सच्चा गुरु होता है वही। 🙏🙏 ©Anita Agarwal

#Gurupurnima poetry in hindi

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