यूँ तो मेरी ज़िन्दगी में वीरानियाँ थी नाकामियां थी,
तेरे आ जाने से मगर अब खिलखिलाता हु मैं।
हँसता था मैं पहले भी पर उससे छुपा लेता था परेशानियाँ अपनी,
तेरे आने से अब परेशानियों में भी मुस्कुरा लेता हूं मैं।
दिल पे ज्यूँ हर पल एक बोझ सा लिये फिरता था,
की तेरे आने से हर बोझ का वज़न आसानी से उठाता हु मैं।
रिश्ते हज़ारो थे आस पास मेरे हमेशा,
तेरे आ जाने से रिश्ते का अब लुत्फ उठा पाता हूं मैं।
तुझे शायद गुमां नही की कितनी अहम है तू मेरी ज़िंदगी मे,
बस इतना समझ की तेरे होने से मुक़म्मल हो जाता हूं मैं।
आशुतोष कुमार "कुँवर"
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