मीठ मीठ बोली म तोर भीजे मन मया म सराबोर, सजोरहा अं | हिंदी शायरी Video

"मीठ मीठ बोली म तोर भीजे मन मया म सराबोर, सजोरहा अंतस के पीरा संग मऊहा के झोर! बिन बरखा सागर भरे कोन,अऊ बिन राम कोन दूख हरे मोर!! खाये ले सगा, अऊ देखे ले मया बाढ़े रे, हूंत कराएंव तमहीच संगी तैं गली म ठाढ़े रे! आबे जब ऊही चंदैनी संग चंदा के ओरी ओर!! बरसा के लगे दिन जुड़हा, फेर सुरूज तात जनाय, मया म बिन परदेशी,देंह ठेठरी कस सुखाय! बदरी के छईंहा बरोबर रे बैरी परदेशिया मया तोर !! चार दिन जिनगी, दू दिन जवानी, मया जनम भर के, जीवन के अधार बिदेसी, झन छोड़ी देबे करार कर के! जाके अपन देस झन बिसराबे,ए गठियाए मया के अंचरा के छोर!! पहूना कस परदेसी तोर संग,रचे आरूग मन जस हरदी के रंग, तैं बिन ठिहा ठिकाना के अजाद परेवना होत बिहान उड़ी जाबे पवन झकोरा संग! घडी़ भर मया खातिर ए बिरही बर थोरकुन सावन ल अगोर!! ©Sunitashatruhansingh Netam "

मीठ मीठ बोली म तोर भीजे मन मया म सराबोर, सजोरहा अंतस के पीरा संग मऊहा के झोर! बिन बरखा सागर भरे कोन,अऊ बिन राम कोन दूख हरे मोर!! खाये ले सगा, अऊ देखे ले मया बाढ़े रे, हूंत कराएंव तमहीच संगी तैं गली म ठाढ़े रे! आबे जब ऊही चंदैनी संग चंदा के ओरी ओर!! बरसा के लगे दिन जुड़हा, फेर सुरूज तात जनाय, मया म बिन परदेशी,देंह ठेठरी कस सुखाय! बदरी के छईंहा बरोबर रे बैरी परदेशिया मया तोर !! चार दिन जिनगी, दू दिन जवानी, मया जनम भर के, जीवन के अधार बिदेसी, झन छोड़ी देबे करार कर के! जाके अपन देस झन बिसराबे,ए गठियाए मया के अंचरा के छोर!! पहूना कस परदेसी तोर संग,रचे आरूग मन जस हरदी के रंग, तैं बिन ठिहा ठिकाना के अजाद परेवना होत बिहान उड़ी जाबे पवन झकोरा संग! घडी़ भर मया खातिर ए बिरही बर थोरकुन सावन ल अगोर!! ©Sunitashatruhansingh Netam

#परदेसी_छत्तीसगढ़ी_ददरिया

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