खुशियों का संसार, बचपन
खिलौने छूटे और लाड़ दुलार छूट गया,
समझ आई तो नि:स्वार्थ प्यार छूट गया,
छूट गई है जो अंगुली हाथों से पापा की,
आगे मैं बढ़ा, पीछे मेरा संसार छूट गया,
माँ की लोड़ियाँ, दादी की कहानियाँ छूटीं,
दादाजी की पुचकार, मेरी नादानियाँ छूटीं,
ननिहाल में बचपना छूटा, छूटा मुझसे मैं भी,
झूले, खेल, तमाशे, खुशियों की रवानियाँ छूटीं,
हिस्से जिम्मेदारियाँ आईं मगर आधार छूट गया,
बचपन छूटा दिल से, जैसे सारा संसार छूट गया।
IG:— @my_pen_my_strength
©Saket Ranjan Shukla
खुशियों का संसार, बचपन..!
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✍🏻Saket Ranjan Shukla
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