White "जिंदगी का सच"
ख्वाब टूटते रहे, हम संभलते रहे,
दुनिया की ठोकरों से हर रोज़ जलते रहे।
जो अपना था, वो पराया सा निकला,
और हम अपनों के बीच भी अकेले चलते रहे।
आंसुओं की बारिश में दिल डूबा रहा,
हर खुशी के पीछे एक गम छुपा रहा।
चाहत थी कि कोई तो समझे हमें,
पर हर रिश्ता बस एक धोखा सा रहा।
अब खुद से बात करने की आदत हो गई,
अपने जख्मों पर मरहम की ताकत हो गई।
जिंदगी ने चाहे जितने भी दर्द दिए हों,
हमने फिर भी मुस्कुराने की हिम्मत कर ली।
©Ashish Bhagat
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