यह जीवन बहुरूपिया, नित नित बदले रूप। कभी छांव श | हिंदी विचार

"यह जीवन बहुरूपिया, नित नित बदले रूप। कभी छांव शीतल सुखद, कभी जलाती धूप।। जीवन एक संघर्ष है, लड़ना जग की रीत। करे सामना जो यहां, वो जग को ले जीत।। हर मुश्किल का सामना, करते हैं जो मीत। वह जीवन संग्राम को, निश्चय लेते जीत।। पग-पग पर करना पड़े, जीवन में संघर्ष। फल पाए शुभ कर्म से, धन वैभव उत्कर्ष।। भगवत भक्ति से नहीं, मिलता मोक्ष धाम। सफल होए जीवन यदि, करें सदा सत्काम।। क्षण भर को मत छोड़िए, जीवन में संतोष। हर्ष सुखद अति हो नहीं, दुःख का होगा रोष।। यह जीवन एक यज्ञ है, श्रम और कर्म हविष्य। नित तप और आहुति से, उज्ज्वल बने भविष्य।। जीने को सबको मिले, जीवन के दिन चार। जी ले सुख आनंद से, सब छल बैर बिसार।। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki"

 यह  जीवन  बहुरूपिया, नित नित  बदले रूप।
कभी छांव शीतल सुखद, कभी जलाती धूप।।

जीवन एक संघर्ष है, लड़ना जग की रीत।
करे सामना जो यहां, वो जग को ले जीत।।

हर मुश्किल का सामना, करते हैं जो मीत।
वह जीवन संग्राम को, निश्चय लेते जीत।।

पग-पग पर करना पड़े, जीवन में संघर्ष।
फल पाए शुभ कर्म से, धन वैभव उत्कर्ष।।

भगवत भक्ति से नहीं, मिलता मोक्ष धाम।
सफल होए जीवन यदि, करें सदा सत्काम।।

क्षण  भर को  मत छोड़िए, जीवन में  संतोष।
हर्ष सुखद अति हो नहीं, दुःख का होगा रोष।।

यह जीवन एक यज्ञ है, श्रम और कर्म हविष्य।
नित तप और आहुति से, उज्ज्वल बने भविष्य।।

जीने को सबको मिले, जीवन के दिन चार।
जी ले सुख आनंद से, सब छल बैर बिसार।।

रिपुदमन झा 'पिनाकी' 
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki

यह जीवन बहुरूपिया, नित नित बदले रूप। कभी छांव शीतल सुखद, कभी जलाती धूप।। जीवन एक संघर्ष है, लड़ना जग की रीत। करे सामना जो यहां, वो जग को ले जीत।। हर मुश्किल का सामना, करते हैं जो मीत। वह जीवन संग्राम को, निश्चय लेते जीत।। पग-पग पर करना पड़े, जीवन में संघर्ष। फल पाए शुभ कर्म से, धन वैभव उत्कर्ष।। भगवत भक्ति से नहीं, मिलता मोक्ष धाम। सफल होए जीवन यदि, करें सदा सत्काम।। क्षण भर को मत छोड़िए, जीवन में संतोष। हर्ष सुखद अति हो नहीं, दुःख का होगा रोष।। यह जीवन एक यज्ञ है, श्रम और कर्म हविष्य। नित तप और आहुति से, उज्ज्वल बने भविष्य।। जीने को सबको मिले, जीवन के दिन चार। जी ले सुख आनंद से, सब छल बैर बिसार।। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki

#जीवन

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