जय परमेश्वर ईन बनीयोंने तुमहारी अकलको अपने-राक्षस | हिंदी मोटिवेशनल

"जय परमेश्वर ईन बनीयोंने तुमहारी अकलको अपने-राक्षसीपापसे खराबकरदीहे.ईससे.तुमलोग-पापकरतेहो किजोभगतोंके;नांमसे जांनवरोंको मारतेहो जीससेदुनीयांकी अकल दीन'रात'खराब होतीजा.तीहे-मगर ईनबनीयोंनेतो-अपना मतलब समझकर-यह राक्षसीपाप चलायाहे ओर ईससेही संसारके लोगोंकी?अकल-भ्रष्टकरदीहे जीससेतुम लोगोंको पाप करनाही धरमसुझताहेःअगरःकोईशखस जांनवरके मारनेसे मनेकरेतो मरने व मारनेको-तयारहोजातेहें ओर जोनेकीकीबात बतावेंतो उसकोनहीकरतेहें कि-जीससेभलाहोवे ओर परमेर्श्वभी खुशहोवे सोऐसे२कांमकरनेकोतो जीवनहीचा:हताहे ओर पापकी बातोंकेलीये जीवचाहताहे जीसकीवजे यहहे किबनीयोंनेःअपने.राक्षसीपापसे-सभोंकी अकल खराबकरदीहे जीससेनेकी ओर बदीकोःनहीसमझतेहें.... ( ४४ ) अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५ M. No. :- 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274"

 जय परमेश्वर 
ईन बनीयोंने तुमहारी अकलको अपने-राक्षसीपापसे खराबकरदीहे.ईससे.तुमलोग-पापकरतेहो किजोभगतोंके;नांमसे जांनवरोंको मारतेहो जीससेदुनीयांकी अकल दीन'रात'खराब होतीजा.तीहे-मगर ईनबनीयोंनेतो-अपना मतलब समझकर-यह राक्षसीपाप चलायाहे ओर ईससेही संसारके लोगोंकी?अकल-भ्रष्टकरदीहे जीससेतुम लोगोंको पाप करनाही धरमसुझताहेःअगरःकोईशखस जांनवरके मारनेसे मनेकरेतो मरने व मारनेको-तयारहोजातेहें ओर जोनेकीकीबात बतावेंतो उसकोनहीकरतेहें कि-जीससेभलाहोवे ओर परमेर्श्वभी खुशहोवे सोऐसे२कांमकरनेकोतो जीवनहीचा:हताहे ओर पापकी बातोंकेलीये जीवचाहताहे जीसकीवजे यहहे किबनीयोंनेःअपने.राक्षसीपापसे-सभोंकी अकल खराबकरदीहे जीससेनेकी ओर बदीकोःनहीसमझतेहें.... ( ४४ )

अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- 
कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो 
छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७  (राज.)
ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५
M. No. :- 8905653801
www.jagathitkarnioriginal.org

©JAGAT HITKARNI 274

जय परमेश्वर ईन बनीयोंने तुमहारी अकलको अपने-राक्षसीपापसे खराबकरदीहे.ईससे.तुमलोग-पापकरतेहो किजोभगतोंके;नांमसे जांनवरोंको मारतेहो जीससेदुनीयांकी अकल दीन'रात'खराब होतीजा.तीहे-मगर ईनबनीयोंनेतो-अपना मतलब समझकर-यह राक्षसीपाप चलायाहे ओर ईससेही संसारके लोगोंकी?अकल-भ्रष्टकरदीहे जीससेतुम लोगोंको पाप करनाही धरमसुझताहेःअगरःकोईशखस जांनवरके मारनेसे मनेकरेतो मरने व मारनेको-तयारहोजातेहें ओर जोनेकीकीबात बतावेंतो उसकोनहीकरतेहें कि-जीससेभलाहोवे ओर परमेर्श्वभी खुशहोवे सोऐसे२कांमकरनेकोतो जीवनहीचा:हताहे ओर पापकी बातोंकेलीये जीवचाहताहे जीसकीवजे यहहे किबनीयोंनेःअपने.राक्षसीपापसे-सभोंकी अकल खराबकरदीहे जीससेनेकी ओर बदीकोःनहीसमझतेहें.... ( ४४ ) अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५ M. No. :- 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274

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