"मत पुछ मोहब्बत आसमां के तारों ओर समुंद्र
के पानी जितना चाया है तुझे.
हक़ से मैं मालिक हूं तेरे दिल का मैंने अपने
दिल की मालकिन बनाया है तुझे.
तूं सता अपने दिवाने को ना नाराज़ होगा.
मगर तुझे हवा भी छुऐ तो मुझे ऐतराज होगा.
Singh Manpreet
©Singh Manpreet
"