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bharat quotes सन सत्तावन में उमड़ी थी जो,सैंतालीस | हिंदी Motivation

"bharat quotes सन सत्तावन में उमड़ी थी जो,सैंतालीस में जाकर सफ़ल हुई गोरों की काले दिल की सब,करतूतें तब असफल हुई जब एक एक रणबांकुर करने को,अपना सर्वस्व न्योछावर कूद पड़े तब अंग्रेजी हुकूमत के तख्तों के,पावदान सब टूट पड़े लाला सुभाष और तिलक की बातें ,जनमानस में गूंज पड़ी अरुणा,सावित्री और चेन्नमा ,भी इस रण में कूद पड़ी जलियांवाला केवल एक बाग नहीं ,वीरों की अमर निशानी हैं बचपन से सुन रहे है हम जो,वो लक्ष्मी बाई की अमर कहानी हैं आजाद,भगत, सुखदेव राजगुरु ,थे सब आजादी के दीवाने बिस्मिल,हमीद के बलिदानों को,हैं कौन यहां जो ना जाने इनके त्याग ही का प्रतिफल है यह,आज़ादी जो हमने पाया है स्वच्छंद हिमालय है खड़ा बुलंद, हम पर भारत मां के आंचल की छाया है अंकुर तिवारी ©Ankur tiwari"

 bharat quotes  सन सत्तावन में उमड़ी थी जो,सैंतालीस में जाकर सफ़ल हुई 
गोरों की काले दिल की सब,करतूतें तब असफल हुई 
जब एक एक रणबांकुर करने को,अपना सर्वस्व न्योछावर कूद पड़े 
तब अंग्रेजी हुकूमत के तख्तों के,पावदान सब टूट पड़े 
लाला सुभाष और तिलक की बातें ,जनमानस में गूंज पड़ी 
अरुणा,सावित्री और चेन्नमा ,भी इस रण में कूद पड़ी 
जलियांवाला केवल एक बाग नहीं ,वीरों की अमर निशानी हैं 
बचपन से सुन रहे है हम जो,वो लक्ष्मी बाई की अमर कहानी हैं 
आजाद,भगत, सुखदेव राजगुरु ,थे सब आजादी के दीवाने
बिस्मिल,हमीद के बलिदानों को,हैं कौन यहां जो ना जाने 
इनके त्याग ही का प्रतिफल है यह,आज़ादी जो हमने पाया है 
स्वच्छंद हिमालय है खड़ा बुलंद, हम पर भारत मां के आंचल की छाया है
अंकुर तिवारी

©Ankur tiwari

bharat quotes सन सत्तावन में उमड़ी थी जो,सैंतालीस में जाकर सफ़ल हुई गोरों की काले दिल की सब,करतूतें तब असफल हुई जब एक एक रणबांकुर करने को,अपना सर्वस्व न्योछावर कूद पड़े तब अंग्रेजी हुकूमत के तख्तों के,पावदान सब टूट पड़े लाला सुभाष और तिलक की बातें ,जनमानस में गूंज पड़ी अरुणा,सावित्री और चेन्नमा ,भी इस रण में कूद पड़ी जलियांवाला केवल एक बाग नहीं ,वीरों की अमर निशानी हैं बचपन से सुन रहे है हम जो,वो लक्ष्मी बाई की अमर कहानी हैं आजाद,भगत, सुखदेव राजगुरु ,थे सब आजादी के दीवाने बिस्मिल,हमीद के बलिदानों को,हैं कौन यहां जो ना जाने इनके त्याग ही का प्रतिफल है यह,आज़ादी जो हमने पाया है स्वच्छंद हिमालय है खड़ा बुलंद, हम पर भारत मां के आंचल की छाया है अंकुर तिवारी ©Ankur tiwari

सन सत्तावन में उमड़ी थी जो
सैंतालीस में जाकर सफ़ल हुई
गोरों की काले दिल की सब
करतूतें तब असफल हुई
जब एक एक रणबांकुर करने को
अपना सर्वस्व न्योछावर कूद पड़े
तब अंग्रेजी हुकूमत के तख्तों के
पावदान सब टूट पड़े

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