भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ?  इस कलयुग में अप | हिंदी कविता

"भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ?  इस कलयुग में अपनी जिम्मेदारी निभाए कौन ? हर तरफ दोष देता इंसान दूसरों को और खुद को समझे हरिश्चंदर की फौज, ऐसे सत्यवादी का मुँह बंद कराये कौन ?  चलो हम भी कह देते है अब यहाँ  भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ?  भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ?  इस काल्युन्ग में, रिश्वत देकर हम काम कराते, और अधिकारीयों पर हम दोष लगाते, अरे मुरख बन्दे रिश्वत देना बंदकर इतनी सी बात तुझे समझाए कौन ?  चल अब मुझसे फिर से पूछ  भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ?  भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ?  इस कलयुग में भाषण पर ही मिलता है राशन भटक रहे है डिग्री वाले,  लगाकर अपने मुँह पर ताले , और चोरों ने हक़ मार मारकर,  कितने ऊँचे मका कर डाले।  आवाज़ अभी भी तुम्हारी दबी रहेगी,  आदत है तुमको, अब तुम्हारे गले में घुसकर ,  मंत्र उच्चारण कराये कौन ? अब बोलो , भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ? तनहा शायर हूँ-यश , ©Tanha Shayar hu Yash "

भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ?  इस कलयुग में अपनी जिम्मेदारी निभाए कौन ? हर तरफ दोष देता इंसान दूसरों को और खुद को समझे हरिश्चंदर की फौज, ऐसे सत्यवादी का मुँह बंद कराये कौन ?  चलो हम भी कह देते है अब यहाँ  भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ?  भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ?  इस काल्युन्ग में, रिश्वत देकर हम काम कराते, और अधिकारीयों पर हम दोष लगाते, अरे मुरख बन्दे रिश्वत देना बंदकर इतनी सी बात तुझे समझाए कौन ?  चल अब मुझसे फिर से पूछ  भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ?  भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ?  इस कलयुग में भाषण पर ही मिलता है राशन भटक रहे है डिग्री वाले,  लगाकर अपने मुँह पर ताले , और चोरों ने हक़ मार मारकर,  कितने ऊँचे मका कर डाले।  आवाज़ अभी भी तुम्हारी दबी रहेगी,  आदत है तुमको, अब तुम्हारे गले में घुसकर ,  मंत्र उच्चारण कराये कौन ? अब बोलो , भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाये कौन ? तनहा शायर हूँ-यश , ©Tanha Shayar hu Yash

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