✍️आज की डायरी ✍️ तुम.... ✍️✍️ अच्छा | हिंदी कविता

"✍️आज की डायरी ✍️ तुम.... ✍️✍️ अच्छा ये तो बताओ कहाँ जाओगे तुम । दूर होकर ये वक़्त कैसे बिताओगे तुम ।। मिल जायेंगे बहुत जश्न मनाने के लिए तुम्हें । अपने दर्द-ए-गम को किसे सुनाओगे तुम ।। जब भी आयेगी याद पुराने लम्हों की । तन्हाईयों में कौन सा गीत गुनगुनाओगे तुम ।। जीने मरने की कसमें खा लिए थे साथ में । पराये हो गए गर तो कसम कैसे निभाओगे तुम ।। सुकूँ मिल जायेगा मिलने की घड़ी सोचकर । जो भी तारीख मुकम्मल बतलाओगे तुम ।। यादें ही बहुत है अकेले जीने के लिये "नीरज"। ये बात कब तक ख़ुद को समझाओगे तुम ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र"

 ✍️आज की डायरी ✍️

             तुम.... ✍️✍️

अच्छा ये तो बताओ कहाँ जाओगे तुम । 
दूर होकर ये वक़्त कैसे बिताओगे तुम  ।। 

मिल जायेंगे बहुत जश्न मनाने के लिए तुम्हें । 
अपने दर्द-ए-गम को किसे सुनाओगे तुम ।।

जब भी आयेगी याद पुराने लम्हों की  । 
तन्हाईयों में कौन सा गीत गुनगुनाओगे तुम ।।

जीने मरने की कसमें खा लिए थे साथ में ।
पराये हो गए गर तो कसम कैसे निभाओगे तुम ।। 

सुकूँ मिल जायेगा मिलने की घड़ी सोचकर । 
जो भी तारीख मुकम्मल बतलाओगे तुम ।। 

यादें ही बहुत है अकेले जीने के लिये "नीरज"। 
ये बात कब तक ख़ुद को समझाओगे तुम ।। 

          ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी ✍️ तुम.... ✍️✍️ अच्छा ये तो बताओ कहाँ जाओगे तुम । दूर होकर ये वक़्त कैसे बिताओगे तुम ।। मिल जायेंगे बहुत जश्न मनाने के लिए तुम्हें । अपने दर्द-ए-गम को किसे सुनाओगे तुम ।। जब भी आयेगी याद पुराने लम्हों की । तन्हाईयों में कौन सा गीत गुनगुनाओगे तुम ।। जीने मरने की कसमें खा लिए थे साथ में । पराये हो गए गर तो कसम कैसे निभाओगे तुम ।। सुकूँ मिल जायेगा मिलने की घड़ी सोचकर । जो भी तारीख मुकम्मल बतलाओगे तुम ।। यादें ही बहुत है अकेले जीने के लिये "नीरज"। ये बात कब तक ख़ुद को समझाओगे तुम ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र

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