मैं,हर रोज़,अक्सर,एक,ख़्वाब देखता हूं,
जिसमें,मैं,तेरा-मेरा,साथ,देखता हूं।
फिरता रहता हूं,साथ,तेरे,हसीन वादियों में,
आंख खोलता हूं,तो...
चलो,हक़ीक़त में न सही,दीदार,तो हुआ,सोचता हूं।।
©MR.KUMAR
#Kuchh_Lines:"Tera Khwaab"
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