हम कभी कभी किसको अपना समझ लेते हैं। हम कभी कभी कि | हिंदी विचार

"हम कभी कभी किसको अपना समझ लेते हैं। हम कभी कभी किसको अपना सब कुछ समझ लेते है। और वहीं शख़्स हमसे खेल कर चले जाता हैं और हमें ये अहसास करवाता हैं, की इस दुनिया में प्यार जैसा कुछ होता ही नहीं इस दुनिया में लोग जो भी करते हैं , उसके पीछे उनका कोई न कोई बहुत गहरा स्वार्थ छिपा होता है, और उसके पीछे छिपा स्वार्थ उनका जब पूरा हो जाता है, तो वो आपको जीवन के ऐसे सच से वाकिफ करवाते हैं जिसे देखने के बाद आपके पैरों से जमीन निकल जाती है, फिर आपके जीवन में एक ऐसा दौर आता है, कि कोई प्यार से बात भी करें तो रूह कांप जाती है , डर लगता है ,और लोगों पर से भरोसा हमेशा के लिए खत्म हो जाता है, फिर आप बस जिंदा लाश की तरह जी रहे होते हैं , अंदर ही अंदर घुट घुट कर मर मर कर, अपनी ही मौत का इंतजार करते हुए ।.... ©Matangi Upadhyay( चिंका )"

 हम कभी कभी किसको 
अपना समझ लेते हैं।
हम कभी कभी किसको 
अपना सब कुछ समझ लेते है।
और वहीं शख़्स हमसे खेल कर चले जाता हैं
और हमें ये अहसास करवाता हैं,
की इस दुनिया में प्यार जैसा कुछ होता ही नहीं
इस दुनिया में  लोग जो भी करते हैं ,
उसके पीछे उनका कोई न कोई 
बहुत गहरा स्वार्थ छिपा होता है,
और उसके पीछे छिपा स्वार्थ 
उनका जब पूरा हो जाता है,
तो वो आपको जीवन के 
ऐसे सच से वाकिफ करवाते हैं
जिसे देखने के बाद 
आपके पैरों से जमीन निकल जाती है,
फिर आपके जीवन में एक ऐसा दौर आता है,
कि कोई प्यार से बात भी करें 
तो रूह कांप जाती है ,
डर लगता है ,और लोगों पर से भरोसा
 हमेशा के लिए खत्म हो जाता है,
फिर आप बस जिंदा लाश की तरह 
जी रहे होते हैं ,
अंदर ही अंदर घुट घुट कर मर मर कर,
अपनी ही मौत का इंतजार करते हुए ।....

©Matangi Upadhyay( चिंका )

हम कभी कभी किसको अपना समझ लेते हैं। हम कभी कभी किसको अपना सब कुछ समझ लेते है। और वहीं शख़्स हमसे खेल कर चले जाता हैं और हमें ये अहसास करवाता हैं, की इस दुनिया में प्यार जैसा कुछ होता ही नहीं इस दुनिया में लोग जो भी करते हैं , उसके पीछे उनका कोई न कोई बहुत गहरा स्वार्थ छिपा होता है, और उसके पीछे छिपा स्वार्थ उनका जब पूरा हो जाता है, तो वो आपको जीवन के ऐसे सच से वाकिफ करवाते हैं जिसे देखने के बाद आपके पैरों से जमीन निकल जाती है, फिर आपके जीवन में एक ऐसा दौर आता है, कि कोई प्यार से बात भी करें तो रूह कांप जाती है , डर लगता है ,और लोगों पर से भरोसा हमेशा के लिए खत्म हो जाता है, फिर आप बस जिंदा लाश की तरह जी रहे होते हैं , अंदर ही अंदर घुट घुट कर मर मर कर, अपनी ही मौत का इंतजार करते हुए ।.... ©Matangi Upadhyay( चिंका )

बस जी रहे होते हैं...
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