शहर- दर - शहर श्मशान हो रहे है ये जिंदगी सब तेरे म

"शहर- दर - शहर श्मशान हो रहे है ये जिंदगी सब तेरे मेहमान हो रहे है कंधे पर बिठा कभी, जिसने आसमां दिखाया अस्थियाँ उसकी अब बोझिल सामान हो रहे है खौफ़, दर्द, मौत ये सब कुछ नही हमारे लिए हम तो विधायक जी के लिए कुर्बान हो रहे है। मास्क, दूरी,वैक्सीन ये सब आपको मुबारक़ हम 4 पैग वाले है आप बेवज़ह परेशान हो रहे है। क्या कसूर जो छीन ली मैंने उस बूढ़े की साँसे उन्हें भी संभालना है, जो अभी जवान हो रहे है। ©Sanjay Sen Sagar"

 शहर- दर - शहर श्मशान हो रहे है
ये जिंदगी सब तेरे मेहमान हो रहे है

कंधे पर बिठा कभी, जिसने आसमां दिखाया
अस्थियाँ उसकी अब बोझिल सामान हो रहे है

खौफ़, दर्द, मौत ये सब कुछ नही हमारे लिए
हम तो विधायक जी के लिए कुर्बान हो रहे है।

मास्क, दूरी,वैक्सीन ये सब आपको मुबारक़
हम 4 पैग वाले है आप बेवज़ह परेशान हो रहे है।

क्या कसूर जो छीन ली मैंने उस बूढ़े की साँसे
उन्हें भी संभालना है, जो अभी जवान हो रहे है।

©Sanjay Sen Sagar

शहर- दर - शहर श्मशान हो रहे है ये जिंदगी सब तेरे मेहमान हो रहे है कंधे पर बिठा कभी, जिसने आसमां दिखाया अस्थियाँ उसकी अब बोझिल सामान हो रहे है खौफ़, दर्द, मौत ये सब कुछ नही हमारे लिए हम तो विधायक जी के लिए कुर्बान हो रहे है। मास्क, दूरी,वैक्सीन ये सब आपको मुबारक़ हम 4 पैग वाले है आप बेवज़ह परेशान हो रहे है। क्या कसूर जो छीन ली मैंने उस बूढ़े की साँसे उन्हें भी संभालना है, जो अभी जवान हो रहे है। ©Sanjay Sen Sagar

#coldnights

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