वो शाम तो मुझे याद नहीं
पर मुझे याद है मेरे हाथों में तेरा हाथ आज भी है..
मुझे याद है वो हर लम्हे में महसूस होता तेरा साथ आज भी है।
मेरे होंठो को तेरी गालों की नरमी का अहसास आज भी है।
मेरे सांसों को लगता है तू मेरे पास आज भी है।
वो मेरा हाथ पकड़ते ही तेरा यूं बेफिक्र हो जाना..
वो मुझसे निगाहें मिलाते ही तेरा यूं बेजिक्र हो जाना।
वो मेरे लिए उठी थी उस दिन
वो तेरी हर एक नज़र याद है मुझे..
वो मेरी उंगलियों ने जो किया था तेरी मुलायम जुल्फों का
वो सफ़र याद है मुझे..
वो हर एक लम्हा वो हर मंज़र
वो गुस्ताखी वो हर एक जुर्रत वो आरजू वो हर गुफ्तगू
वो हर ईश्क का पल जो तेरे साथ जिया था याद है मुझे
तो फ़िर क्या फ़र्क पड़ता है अगर वो शाम मुझे याद नहीं..
©Saeed Anwar
#diary